*इसे किसी और को न बतायें, या किसी और के पास न भेजें।*
👉प्रार्थना सरल और साफ तरीके से की जानी चाहिए और आसानी से बोली जाने वाली प्रार्थना करनी चाहिए.
👉शांत वातावरण में प्रार्थना करें।
👉प्रार्थना को रोज़ एक ही समय पर करें।
👉अपनी प्रार्थना को गोपनीय ही रखें।
👉जब भी समय मिले अपनी प्रार्थना को दोहराते रहे। इससे मनोकामनाएँ यथा शीघ्र पूर्ण होती हैं।
👉प्रार्थना करते समय आपका ध्यान भगवान पर और प्रार्थनाओं पर होना चाहिए। इस बात का ख्याल रखे की हमारा चित्त (ध्यान) इधर-उधर न भटके।
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👉हे नाथ! हे मेरे नाथ! मैं आपको कभी भूलू नहीं।
मैं सब विधि हीन, आपकी दया से उत्तम मानव योनी को प्राप्त किया हूँ। मूझे इस जीवन को कैसे सार्थक करना है इसका रतिभर भी ज्ञान नही। हे प्रभु! मैं अत्यन्त पापी हूँ, और नित्य पाप कर्मों में संलिप्त रहने की प्रवृति वाली हूँ, और अनेक जन्मों से पाप कर्मों में लिप्त रहने के कारण पाप कर्मों को बरबस करते रहती हूँ।
मैं इस समय मान-सम्मान, पारिवारिक उलझनों में फसी हूँ।
आप कृपा कर मेरे अवगुणों को न देखकर मेरे सम्मान की रक्षा करें।
इसलिये हे नाथ! आपकी अहेतु करूणा के कारण आज मेरी बुद्धि आपके श्री चरणों के तरफ आकृष्ट हुई है। अतः हे प्रभु आप मेरी बुद्धि को अपने चरणों में सदैव के लिये लगा लें जिससे आपके करूणा द्वारा प्रदत्त इस मानव जीवन का उद्धार हो सकें।
-डॉ मुकेश ओझा
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शक
लब्ध स्वर्ण पदक(काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)