Saturday, October 21, 2017

परमात्मा का मन्त्र

अ,आ,इ, ई,उ, ऊ, ऋ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ 
क,ख,ग,घ,ड़,च,छ,ज,झ,ञ,ट,ठ,ड,ढ,ण,त,थ,द,ध,न,प,फ,ब,भ,म,य,र,ल,व,व,श,ष,स,ह,क्ष,त्र,ज्ञ,श्र,
हे प्रभु! मै आपकी आराधना करू भी तो कैसे करू आपके स्तुति मे कहा हुआ शब्द छोटा प्रतित होता है, मन्त्र बनाने का सामर्थ्य नहीं और पहले से बने मन्त्र इतने अधिक हैं कि याद नहीं होते, उन मन्त्रोंका अर्थ  समझ नहीं आता।
इसलिए मै आपके स्तुति मे वर्णमाला को कह रहा हूँ। अपने अनुसार उसको ठीक ठीक बैठा लेना।

धार्मिक क्रिया करने से धार्मिक नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि धार्मिकता एक आन्तरिक रूपांतरण है।
मनुर्भव
डॉ मुकेश ओझा

धार्मिक होने का अर्थ है मैं जो हूँ उससे संतुष्ट नहीं हूँ मुझे और विशिष्ट होना है

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