Monday, August 6, 2018

स्वर वर्ण

देवनागरी लिपि में मूल स्वर हैं - अ इ उ तथा ऋ
लृ का उपयोग कहीं नहीं होता।
अकः सवर्णे दीर्घः के कारण नये दीर्घ स्वर बनते हैं। जैसे-
अ+अ=आ
इ+इ= ई
उ+उ= ऊ
ऋ+ऋ=ऋृ
इस तरह वर्णमाला बनती है-
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋृ

आद्गुणः सूत्र से (ह्रस्व इ उ तथा दीर्घ ई ऊ दोनों से ) दो स्वरों का मेल होता है। इससे संयुक्त स्वर ए तथा ऐ बनता है। जैसे -
अ+इ = ए
अ+उ= ओ

वृद्धिरेचि सूत्र से 2 स्वरों के मेल(संधि) से 2 नए संयुक्त स्वर बनते हैं।
अ+ए=ऐ
अ+ओ=औ
देवनागरी की वर्णमाला इस प्रकार बनती है
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋृ लृ  ए ऐ ओ औ

संधि का प्रयोग सुबन्त तथा तिङन्त प्रक्रिया को पूरा करने में होता है। अर्थात प्रातिपदिक (धातु तथा प्रत्यय के अतिरिक्त अन्य सार्थक शब्द) के साथ लगने वाले प्रत्यय, समास और धातु के साथ लगने वाले प्रत्यय की सिद्धि में ही सन्धि का प्रयोग होता है। दो वर्णों के मेल तक सीमित रहने के कारण इसकी अपनी अतिरिक्त स्वतंत्र सत्ता नहीं है।
-डॉ मुकेश ओझा

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