धार्मिक बातें वैज्ञानिक हो सकती हैं। ऐसा लग सकता है कि धर्म में जो कहा गया है वह वैज्ञानिक है। परन्तु धर्म का वैज्ञानिक विश्लेषण नहीं किया जा सकता। यह संभव ही नहीं । धार्मिकता और वैज्ञानिकता एक ही सिक्के के दो आयाम हैं। बिल्कुल विपरीत आयाम। जैसे सिक्के के एक पहलू को देखकर दूसरे के बारे में कुछ भी ठीक ठीक नहीं कहां जा सकता। उसी प्रकार धर्म और विज्ञान है।
यह संसार दो भागों में बँटा है।
1- भौतिक
2- आध्यात्मिक (धार्मिक)
भौतिक वस्तुओं का विवेचन विज्ञान के आधार पर होता है। और आध्यात्मिकता का विवेचन चेतना के आधार पर होता है।
आध्यात्मिकता या धर्म का वैज्ञानिक विश्लेषण नहीं किया जा सकता। हाँ उदाहरण द्वारा समझने का प्रयास जरूर किया जा सकता है।
जीवन का उद्देश्य आध्यात्मिक होना है। और आध्यात्मिक होने का दो मार्ग है।
पहला मार्ग है चेतना को (प्रकृति मे) जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करना।
और दूसरा मार्ग है भौतिक वस्तुओं का खोज करना प्राप्त करना और निषेध करना कि यह जीवन का लक्ष्य नहीं हैं।
ध्यानी पुरुष पहले मार्ग का चयन करते हैं और हम लोग(जो ध्यान नहीं करते) दूसरे मार्ग का चयन करते हैं।
विज्ञान का गणित और धर्म का गणित बिल्कुल भिन्न है। विज्ञान में एक और एक, दो होता है चाहें जिस परिस्थिति में या जैसे जोड़ा जाय परन्तु, धर्म में एक और एक कुछ भी हो सकता है।
समाधि में एक और एक शून्य होता है।
तथा भक्ति और प्रेम में एक और एक! एक ही रह जाता है।
और कर्मकांड में एक और एक दो हो जाता है।
अतः जब धर्म कर्मकांड रूप में होगा तो वैज्ञानिक लगेगा। इससे यह नहीं समझ लेना चाहिए कि धर्म का वैज्ञानिक विश्लेषण हो सकता है क्योंकि दूसरे क्षण ही यह विश्लेषण गलत हो जायेगा।
-डॉ मुकेश ओझा
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार
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