Tuesday, January 21, 2020

शिक्षक के गुण

कोई राष्ट्र समृद्ध और समुन्नत तभी हो सकता है जब उस राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति समृद्ध हो।
राष्ट्र सभ्य और आदर्श तभी हो सकता है जब राष्ट्र का प्रत्येक नागरीक सभ्य और आदर्श हो।
राष्ट्र को सभ्य और सुसंस्कृत राष्ट्र के नागरीक बनाते हैं। और राष्ट्र के नागरीकों को सभ्य और सुसंकृत अध्यापक बनाते हैं।
आज हमारे देश के अध्यापक अपना आदर्श भूल गये हैं। जिसके कारण राष्ट्र मे असंतोष दुख भ्रष्टाचार, और हींसा व्याप्त हो गया है। 
आज पुनः अध्यापको कों अपने आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता है।
यदि अध्यापको मे अध्यापक का गुण आ जाय तो देश पुनः अपने गौरव को प्राप्त करेगा। देश समुन्नत और समृद्ध होगा।

शिक्षक के गुण
 आचार्य के लिए अधोलिखित निम्न गुणों को अनिवार्य माना गया है-

अहिंसा सुनृता वाणी सत्यं शौचं दया क्षमा
कुलं शीलं दया दानं धर्मः सत्यं कृतज्ञता।
अद्रोह इति येष्वेतदाचार्योस्तान्प्रचक्षते॥
- कामन्दकीय नीतिसार 
अर्थात् हिंसा न करना, सत्य और प्रिय वाणी का प्रयोग करना, प्रत्येक कार्य में सत्यता, मन और कर्म से पवित्राता, दयावान, क्षमाशील, श्रेष्ठ शीलवान, दानशील, धर्मात्मा, कृतज्ञता, अद्रोह यह नैतिक गुण जिसमें विद्यमान हों, वे सभी आचार्य हैं। 

-डॉ मुकेश ओझा
*ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार*

Wednesday, January 15, 2020

श्रेष्ठ पुजन विधि

मानस पूजा :- 

१ ॐ लं    पृथ्व्यात्मकं  गन्धं परिकल्पयामी । 
प्रभु मै   पृथ्वी रूप गंध चन्दन आपको अर्पित करता हूँ । 
२- ॐ हम आकाशात्मकं  पुष्पम परिकल्पयामी  । 
प्रभु  आकाश रूप समस्त पुष्प आपको अर्पितकर्ता हूँ । 

३- ॐ यम वायवातंकम  धूपम  परिकल्पयामी । 
पर्भु मै  वायु रूप में धुप आपको अर्पित करता हूँ । 

४- ॐ रम वह्यतमकम   दर्शयामि । 

प्रभु अग्निदेव के रूप दीपक आपको प्रदान करता हूँ । 

५- ॐ वम अमृतात्मकम  नैवेद्यम निवेदयामि । 

प्रभु  मै  अमृत  के सामान नैवेद्य आपको निवेदन करता हूँ  । 

६- ॐ सोम  सर्वात्मकं सर्वोपचारम  समर्पयामि  ।  

प्रभु  सर्वात्मा के रूप में संसार के सभी उपचारो को आपके चरणो में समर्पित करताहूँ  । 

इस प्रकार उपरोक्त मंत्रो से परमात्मा की  मानस पूजा करें। 

Tuesday, January 7, 2020

नागरिक प्रतिज्ञा पत्र

मैं, विद्यावारिधी मुकेश कुमार ओझा , ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं... देश के सच्चे नागरीक के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूंगा. ’  

  ‘मैं,  ...... ...., ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि देश के सच्चे नागरीक के रूप में
अपने देश की लोकतांत्रिक परंपराओं की मर्यादा को बनाए रखेंगे और स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण रखने मे हर संभव प्रयास करूंगा, देश की गरिमा को अक्षुण रखते हुए, निर्भीक होकर, धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना भारतीयता का परीचय देते हूये किसी भी जीव जन्तु, वनस्पति, या मानव का अहित नही करूंगा। देश के सच्चे नागरीक के रूप मे कार्य करूंगा।

Saturday, January 4, 2020

अर्द्धनारीश्वर -जीवन का सत्य

जो लोग भी जीवन के परम रहस्य को जानना चाहते हैं, उन्हें शिव के व्यक्तित्व को ठीक से समझना ही पड़ेगा।
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शिवलिंग से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रतिमा पृथ्वी पर कभी नहीं खोजी गई। उसमें आपकी आत्मा का पूरा आकार छिपा है। और आपकी आत्मा की ऊर्जा एक वर्तुल में घूम सकती है, यह रहस्य भी छिपा है।
शिवलिंग इस बात को बताता है कि जिस दिन आपकी ऊर्जा आपके ही भीतर घूमती है और आप में ही लीन हो जाती है, उस दिन शक्ति भी नहीं खोती और आनंद भी उपलब्ध होता है। और फिर जितनी ज्यादा शक्ति संगृहीत होती जाती है, उतना ही आनंद बढ़ता जाता है।हमने शंकर की प्रतिमा को, शिव की प्रतिमा को अर्धनारीश्वर बनाया है। शंकर की आधी प्रतिमा पुरुष की और आधी स्त्री की- यह अनूठी घटना है। जो लोग भी जीवन के परम रहस्य में जाना चाहते हैं, उन्हें शिव के व्यक्तित्व को ठीक से समझना ही पड़ेगा। और देवताओं को हमने देवता कहा है, शिव को महादेव कहा है। उनसे ऊंचाई पर हमने किसी को रखा नहीं। उसके कुछ कारण हैं। उनकी कल्पना में हमने सारा जीवन का सार और कुंजियां छिपा दी हैं।अर्धनारीश्वर का अर्थ यह हुआ कि जिस दिन परम घटना शुरू होता है, आपका ही आधा व्यक्तित्व आपकी पत्नी और आपका ही आधा व्यक्तित्व आपका पति हो जाता है। आपकी ही आधी ऊर्जा स्त्रैण और आधी पुरुष हो जाती है। और इन दोनों के भीतर जो रस और जो लीनता पैदा होती है, फिर शक्ति का कहीं कोई विसर्जन नहीं होता।अगर आप बायोलॉजिस्ट से पूछें आज, वे कहते हैं- हर व्यक्ति दोनों है, बाई-सेक्सुअल है। वह आधा पुरुष है, आधा स्त्री है। होना भी चाहिए, क्योंकि आप पैदा एक स्त्री और एक पुरुष के मिलन से हुए हैं। तो आधा पुरूष और आधा स्त्री होना ही चाहिए।
अगर आप सिर्फ मां से पैदा हुए होते, तो स्त्री होते। सिर्फ पिता से पैदा हुए होते, तो पुरुष होते। लेकिन आप में पचास प्रतिशत आपके पिता और पचास प्रतिशत आपकी मां मौजूद है। आप न तो पुरुष हो सकते हैं, न स्त्री हो सकते हैं- आप अर्धनारीश्वर हैं।बायोलॉजी ने तो अब खोजा है, लेकिन हमने अर्धनारीश्वर की प्रतिमा में आज से पचास हजार साल पहले इस धारणा को स्थापित कर दिया। यह हमने खोजी योगी के अनुभव के आधार पर।क्योंकि जब योगी अपने भीतर लीन होता है, तब वह पाता है कि मैं दोनों हूं।और मुझमें दोनों मिल रहे हैं। मेरा पुरुष मेरी प्रकृति में लीन हो रहा है; मेरी प्रकृति मेरे पुरुष से मिल रही है। और उनका आलिंगन अबाध चल रहा है; एक वर्तुल पूरा हो गया है। मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं, कि आप आधे पुरुष हैं और आधे स्त्री। आपका चेतन पुरुष है, आपका अचेतन स्त्री है। और अगर आपका चेतन स्त्री का है, तो आपका अचेतन पुरुष है। उन दोनों में एक मिलन चल रहा है।
- डाॅ. मुकेश ओझा
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार