Sunday, July 5, 2020

चुनाव

बिहार कि राजनिति
 राजनीति को समझने के लिए एक कहानी बताता हूं।
एक कैदी को दण्ड स्वरूप दो विकल्प दिया गया पहला लगातार 10 किलो कच्चा प्याज खाने का।
 दूसरा 1000 कोड़ा खाने का कैदी ने सोचा 1000 कोड़ा खाने पर तो मैं मर ही जाऊंगा क्यों ना 10 किलो प्याज खा लें, और वह प्याज खाने लगा 1 किलो प्याज खाने के बाद, उसको लगा कि अब एक भी प्याज खाया तो मर जाऊंगा, प्याज का तेज उसको सहन नहीं हो रहा था।
 अतः उसने कोड़ा खाने का सजा चुना और उसको कोड़ा मारा गया 200 कोड़ा खाने के बाद उसको लगा अब एक भी कोडा खाया तो मर जाऊंगा। अत: उसने पुनः प्याज खाना स्वीकार किया और यह सिलसिला चलता रहा वह कभी प्याज तो कभी कोडा खाता। परन्तु दोनो मे से कोई भी लगातार नही खाता। जिसके कारण उसका 1000 कोडा या 10 किलो प्याज का सजा जब तक वह मर नही गया तब तक समाप्त नही हुआ।
बन्धुओं अब आते हैं चुनाव पर -
 बिहार चुनाव का भी यही स्थिति है बिहार का जनता कभी राजद को तो कभी जदयू का चयन करती है और यह सिलसिला 30 वर्षों से चल रहा है और बिहार अपनी दुर्दशा को प्राप्त हो रहा है और इन दोनो पार्टियों के कुकर्मों को झेल रहा है। 
👉 बिहार के लोगों को अब कोई तीसरा विकल्प चुनना चाहिए। बिहार के लोग कब तक कोड़ा और प्याज जदयू और राजद राजद और जदयू करेंगे। अब बिहार के लोगों को इन दोनों पार्टियों को उखाड़ फेंकना चाहिए।
और एक समृद्ध बिहार का निर्माण करना चाहिये।
 जय भारत ! जय बिहार!
- डॉ मुकेश ओझा 
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार

Saturday, July 4, 2020

गुरु पूजन पद्धति

गुरु पूजन पद्धति

|| ॐ श्री गणेशाय: नमः 
| ॐ श्री सरस्वत्यै नमः 
||ॐ श्री गुरुभ्यो नमः    

जय गुरुदेव

ॐश्री गुरुचरणकमलेभ्यो नमः

ध्यानम्🙏
नारायणं पद्मभवं वसिष्ठं शक्तिं च तत्पुत्रपराशरं च।
व्यासं शुकं गौडपदं महान्तं गोविन्दयोगीन्द्रमथास्य शिष्यम्॥

श्री शंकराचार्यमथास्य पद्मपादं च हस्तामलकं च शिष्यम्।
तं त्रोटकं वार्त्तिककारमन्यान् अस्मतगुरून् सन्ततमानतोस्मि॥

श्रुतिस्मृतिपुराणानां आलयं करुणालयं।
नमामि भगवत्पादं शङ्करं लोकशङ्करम्॥

शङ्करं शङ्कराचार्य केशवं बादरायणम्।
सूत्रभाष्यकृतौ वन्दे भगवन्तौ पुनः पुनः॥

|| सदाशिव समारम्भाम् शंकराचार्य मध्यमाम् ।
अस्मद् आचार्य पर्यन्ताम् वंदे गुरु परम्पराम् ||

॥ॐ समस्तजनकल्याणे निरतं करुणामयम् ।
नमामि चिन्मयं देवं सद्गुरुं ब्रह्मविद्वरम् ॥

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

प्रत्यक्ष / मानस पूजा :- 

१ ॐ लं पृथ्व्यात्मकं गन्धं परिकल्पयामी । 
श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः।🙏
गुरुदेव! मै पृथ्वी रूपी गंध चन्दन आपको अर्पित करता हूँ। 
२- ॐ हम आकाशात्मकं पुष्पम परिकल्पयामी।
श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः।🙏
गुरुदेव! मै आकाश रूप पुष्प आपको अर्पितकर्ता हूँ । 

३- ॐ यम वायवातंकम  धूपम  परिकल्पयामी।
 श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः।🙏
गरुदेव!  मै वायु रूप में धुप आपको अर्पित करता हूँ । 

४- ॐ रम वह्यतमकम  दीपं दर्शयामि । 
श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः।🙏

गुरुदेव! मै अग्निदेव रूप मे दीपक आपको प्रदान करता हूँ।

५- ॐ वम अमृतात्मकम  नैवेद्यम निवेदयामि । 
श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः।🙏

गुरुदेव!  मै  अमृत  के सामान नैवेद्य आपको निवेदन करता हूँ  । 

६- ॐ सोम  सर्वात्मकं सर्वोपचारम  समर्पयामि  । 
श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः।🙏

गुरुदेव! मै सर्वात्मा के रूप में संसार के सभी उपचारो को आपके चरणो में समर्पित करता हूँ। 

इस प्रकार उपरोक्त मंत्रो से गुरुदेव का पूजा करें। 
यदि गुरुदेव पास न हों तो
इस प्रकार उपरोक्त मंत्रो से गुरुदेव का मानस पूजा करें। 
-  डॉ मुकेश ओझा
#ज्योतिष एवं #आध्यात्मिक सलाहकार

Friday, July 3, 2020

आदर्श सरपंच और मुखिया

ये सरपंच भक्ति शर्मा हैं..

अमेरिका से लौटी हैं  अब मध्यप्रदेश में एक ग्राम पंचायत की सरपंच है।  इनके गांव में बहुत सारे खास काम होते हैं, यहां एक सरपंच योजना चलती है.. किसान को मुआवजा मिलता है। हर आदमी का बैंक अकाउंट है और हर खेत का मृदा कार्ड.. कुछ ही वर्षों में इन्होंने अपने गांव की तस्वीर बदल दी है.. पढ़िए इनकी सफलता की कहानी...  
भक्ति शर्मा ने एमए राजनीति शास्त्र से किया है, अभी वकालत की पढ़ाई कर रही हैं। भोपाल जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बरखेड़ी अब्दुल्ला ग्राम पंचायत है। इस पंचायत में कुल 2700 जनसँख्या है जिसमे 1009 वोटर हैं। ओडीएफ हो चुकी इस पंचायत में आदर्श आंगनबाड़ी से लेकर हर गली में सोलर स्ट्रीट लाइटें हैं।
“सरपंच बनते ही सबसे पहला काम हमने गांव में हर बेटी के जन्म पर 10 पौधे लगाना और उनकी माँ को अपनी दो महीने की तनख्वाह देने का फैसला लेकर किया। पहले साल 12 बेटियां पैदा हुई, माँ अच्छे से अपना खानपान कर सके इसलिए अपनी यानि सरपंच की तनख्वाह ‘सरपंच मानदेय’ के नाम से शुरू की।”

भक्ति ने कहा, “हमारी पहली ऐसी ग्राम पंचायत बनी जहाँ हर किसान को उसका मुआवजा मिला। हर ग्रामीण का राशनकार्ड, बैंक अकाउंट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाया। इस समय पंचायत का कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं है। महीने में दो से तीन बार फ्री में हेल्थ कैम्प लगता है। 
भक्ति ने कहा, “हमारी पहली ऐसी ग्राम पंचायत बनी जहाँ हर किसान को उसका मुआवजा मिला। हर ग्रामीण का राशनकार्ड, बैंक अकाउंट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाया। पहले साल में 113 लोगों को पेंशन दिलानी शुरू की, इस समय पंचायत का कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं है। महीने में दो से तीन बार फ्री में हेल्थ कैम्प लगता है, जिससे पंचायत का हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहे।”
ग्राम पंचायत का कोई भी काम भक्ति अपनी मर्जी से नहीं करती हैं। वर्ष 2016-17 में 10 ग्राम सभाएं हो चुकी हैं, पंचों की बैठक समय-समय पर अलग से होती रहती है। जब ये सरपंच बनी थीं तो इस पंचायत में महज नौ शौचालय थे अभी ये पंचायत ओडीएफ यानि खुले में शौच से मुक्त हो चुकी है। भक्ति का कहना है, “हमने पंचायत में कोई भी काम अलग से नहीं किया, सिर्फ सरकारी योजनाओं को सही से लागू करवाया है। पंच बैठक में जो भी निर्धारित करते हैं वही काम होता है। ढ़ाई साल में बहुत ज्यादा विकास तो नहीं करवा पाए हैं क्योंकि जब हम प्रधान बने थे उस समय गांव की सड़कें ही पक्की नहीं थी, इसलिए पहले जरूरी काम किए।”
भक्ति ने अपने प्रयासों से अपनी पंचायत को सरकार की मदद से एक बड़ा सामुदायिक भवन पास करा लिया है। भक्ति का कहना है, “आगामी छह महीने में इस भवन में डिजिटल क्लासेज शुरू हो जायेंगी, जो पूरी तरह से सोलर से चलेंगी। इसमें महिलाओं के लिए सिलाई सेंटर, और चरखा केंद्र खुलेगा। किसानों के लिए समय-समय पर बैठकें होंगी, जिससे वो खेती के आधुनिक तरीके सीख सकें। बच्चों के लिए तमाम तरह की गतिविधी होंगी जिससे उन्हें गांव में शहर जैसी सुविधाएँ मिल सकें।”
पंचायत की हर महिला निडर होकर रात के 12 बजे भी अपनी पंचायत में निकल सके भक्ति शर्मा की ऐसी कोशिश है। भक्ति ने कहा, “पंचायत की हर बैठक में महिलाएं ज्यादा शामिल हों ये मैंने पहली बैठक से ही शुरू किया। मिड डे मील समिति में आठ महिलाएं है। महिलाओं की भागीदारी पंचायत के कामों में ज्यादा से ज्यादा रहे जिससे उनकी जानकारी बढ़े और वो अपने आप को सशक्त महसूस करें।”
पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से ग्राम पंचायत में पानी की बहुत समस्या है। पीने के पानी के लिए तो सबमर्सिबल लगा है लेकिन खेती को समय से पानी मिलना थोड़ा मुश्किल होता है। भक्ति का कहना है, “जिनके पास 10-12 एकड़ जमीन है, हमारी कोशिश है वो हर एक किसान कम से कम एक एकड़ में जैविक खेती जरुर करें। बहुत ज्यादा संख्या में तो नहीं लेकिन किसानों ने जैविक खेती करने की शुरुआत कर दी है।”👏🇮🇳🌾