राजनीति को समझने के लिए एक कहानी बताता हूं।
एक कैदी को दण्ड स्वरूप दो विकल्प दिया गया पहला लगातार 10 किलो कच्चा प्याज खाने का।
दूसरा 1000 कोड़ा खाने का कैदी ने सोचा 1000 कोड़ा खाने पर तो मैं मर ही जाऊंगा क्यों ना 10 किलो प्याज खा लें, और वह प्याज खाने लगा 1 किलो प्याज खाने के बाद, उसको लगा कि अब एक भी प्याज खाया तो मर जाऊंगा, प्याज का तेज उसको सहन नहीं हो रहा था।
अतः उसने कोड़ा खाने का सजा चुना और उसको कोड़ा मारा गया 200 कोड़ा खाने के बाद उसको लगा अब एक भी कोडा खाया तो मर जाऊंगा। अत: उसने पुनः प्याज खाना स्वीकार किया और यह सिलसिला चलता रहा वह कभी प्याज तो कभी कोडा खाता। परन्तु दोनो मे से कोई भी लगातार नही खाता। जिसके कारण उसका 1000 कोडा या 10 किलो प्याज का सजा जब तक वह मर नही गया तब तक समाप्त नही हुआ।
बन्धुओं अब आते हैं चुनाव पर -
बिहार चुनाव का भी यही स्थिति है बिहार का जनता कभी राजद को तो कभी जदयू का चयन करती है और यह सिलसिला 30 वर्षों से चल रहा है और बिहार अपनी दुर्दशा को प्राप्त हो रहा है और इन दोनो पार्टियों के कुकर्मों को झेल रहा है।
👉 बिहार के लोगों को अब कोई तीसरा विकल्प चुनना चाहिए। बिहार के लोग कब तक कोड़ा और प्याज जदयू और राजद राजद और जदयू करेंगे। अब बिहार के लोगों को इन दोनों पार्टियों को उखाड़ फेंकना चाहिए।
और एक समृद्ध बिहार का निर्माण करना चाहिये।
जय भारत ! जय बिहार!
- डॉ मुकेश ओझा
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार
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