यह धुप किसके लिए यह छाव किसके लिए
और सनसनाती यह हवा है किसके लिए
वृक्ष किसके लिए यह जल किसके लिए
और यह इठलाती नदियाँ हैं किसके लिए
सोचता हूँ मैं इस प्रकृति का कण-कण है किसके लिए।
फल किसके लिए फुल किसके लिए
और मदमस्त यह फिजा है किसके लिए
दिन-रात किसके लिए ऋतु किसके लिए
और आसमान के ये अद्भुत नजारे किसके लिए।
हे मानव! तनिक यह विचारों तुम स्वयं हो किसके लिए।
-डॉ मुकेश ओझा
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