वट सावित्री स्त्रियों का नित्य और काम्य व्रत है, जो सूर्यास्त से पहले तीन मुहूर्त या इससे अधिक अमावस्या की व्याप्ति होने वाले दिन पर करना चाहिए। अमायांच तथा ज्येष्ठे वटमूले महासती। त्रिरात्रोपोषिता नारी विधिनानेन पूजयेत्।।
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