Monday, June 3, 2019

विधिलिङ्-चाहिये अर्थ में (हस)

ॐ सुरभारत्यै नमः॥ जयश्रीकृष्ण 🙏🌹

(विधिलिङ्-चाहिये अर्थ में)
हसेत्     हसेताम्     हसेयुः
हसेः      हसेतम्      हसेत
हसेयम्   हसेव        हसेम
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   १)अम्बा हसेत् ।
=माता को हँसना चाहिये ।
   २)भवन्तौ अपि हसेताम् ।
=आप दोनों को भी हँसना चाहिये ।
   ३)कदाचित् हास्यवार्तां विना हि सर्वे हसेयुः ।
=कभी हँसी की बात के बिना ही सभी को हँस लेना चाहिये ।

   ४)त्वमपि कदाचित् तु हसेः ।
=तुम्हे भी कभी हँसना चाहिये ।
   ५)युवां पागलवत् न हसेतम् ।
=तुम दोनों को पागल की तरह नहीं हँसना चाहिये ।
   ६)यूयं हास्यकणिकां श्रुत्वा हसेत् ।
=तुम सबको चुटकुला सुनकर हँसना चाहिये ।

   ७)अहं हसेयम् एकदा अवश्यम् ।
= मुझे एकबार जरूर हँसना चाहिये ।
   ८)आवां तिरोभूय एव हसेव ।
=हम दोनों को छिपकर ही हँसना चाहिये ।
   ९)वयं नित्यं हसेम ।
=हमें प्रतिदिन हँसना चाहिये ।

जयतु संस्कृतम् ॥ॐ॥ जयतु भारतम् ॥

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