Saturday, May 20, 2023

मंदिर में दर्शन करने के नियम - भाग-1

मंदिर में दर्शन करने के नियम - भाग-1
शास्त्र सम्मत पूजा-पाठ, कर्मकाण्ड होना चाहिए यदि शास्त्र सम्मत पूजा-पाठ कर्मकाण्ड नहीं हुआ तो लाभ के स्थान पर हानि होता है।
वैदिक पूजा पाठ कर्मकाण्ड का नियम ईश्वर प्रदत्त है, मानव निर्मित नहीं जिसमें परिवर्तन हो सकें।
* मंदिर में दर्शन करने के क्या नियम है आज जानते हैं।*
👉 शुद्ध और पवित्र शरीर, वस्त्र, और वस्तुओं के साथ ही मंदिर में प्रवेश करें।
👉जिस देवता का मंदिर हो उस देवता का नाम जप मंदिर में प्रवेश करते समय से प्रारंभ कर दें और मंदिर से बाहर निकलते समय तक करें।
👉 मंदिर में किसी प्रकार के बातचीत किसी से भी न करें।
👉 भगवान के प्रतिमा को एकटक देखें और देवता के छबि को हृदय में बैठा लें, जिससे देवता का छबि जब चाहे तब हृदय में दिख सकें।
👉 मंदिर के परिसर, शिखर द्वार, सीढ़ी, दीवाल, इत्यादि को भी देव प्रतिमा ही समझकर आदर से प्रणाम करें।
👉 मंदिर के गर्भगृह में कभी भी प्रवेश न करें।
👉 देव प्रतिमा का स्पर्श कभी भी न करें। 
👉देवता को अर्पण किये जानेवाले वस्तुओं को दूर से ही भाव द्वारा अर्पण करें या पुजारी को अर्पण करने के लिए दें।
👉 यदि सामर्थ्य हो तो देवता और पुजारी दोनों के लिए दक्षिणा दें।
👉 देवता के लिए दक्षिणा पुजन सामग्री के साथ ही दें। तथा प्रसाद ग्रहण करते समय पुजारी को दक्षिणा दें।
👉यदि आपके पास धन न हो तो  पुजारी द्वारा दक्षिणा मांगें जाने पर हाथ जोड़कर अपनी असमर्थता जतायें, पुजारी से बहस करने से बचें।
👉 मंदिर में देवता के परिकरों(पुजारी, सफाई करनेवाले, व्यवस्था करनेवाले) का आदर करें, परिकरों के प्रति अच्छे भाव रखें।
👉यदि परिकरों द्वारा किसी प्रकार का ग़लत व्यवहार किया जाता है तो भी उनसे न उलझे। व्यवस्थापक से कहें और ईश्वर से अपनी वेदना कह कर अपने घर आ जायें।
👉 धन, समय और पुजन सामग्री के अभाव में मंदिर को बाहर से ही शिखर दर्शन कर प्रणाम करें। और भगवान से प्रार्थना करें कि मुझे धन, समय, पुजन सामग्री प्रदान करें जिससे मैं भी विधिपूर्वक पूजन दर्शन कर सकूं।

👉यदि आपके मन में कोई और भी प्रश्न हो तो हमसे पूछ सकते हैं।
- डॉ मुकेश ओझा
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शक
लब्ध स्वर्ण पदक (काशी हिन्दू विश्व विद्यालय)
सम्पर्क सूत्र-  8808634026

मंदिर में दर्शन करने के नियम - भाग2 पढ़ने लिए लिंग पर क्लिक करें 
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