शारीरिक कष्ट और मानसिक कष्ट को दूर करने का उपाय है - भावातीत ध्यान।
ध्यान की प्रक्रिया
- सबसे पहले शांत चित्त होकर शरीर ढीला करके बिल्कुल सीधे होकर बैठें।
- अपनी एक मुट्ठी में कोई पुष्प ले लें।
- किसी योग्य गुरु से बीज मंत्र ग्रहण कर उसका जाप करें अथवा जिस भगवान में आपकी आस्था है, उस परम प्रभु के नाम का जाप करते रहें।
- मंत्र का उच्चारण आप अपनी क्षमता के अनुसार करें।
- जिस नाम का उच्चारण पहली बार किया था उसे याद रखें।
- हर बार उसी मंत्र का जाप करें।
- किसी-किसी को शुरू में अहसास होगा कि उनका सिर घूम रहा है ऐसा पहली बार होता है।
- आंख बंद करते ही आपके मन में कई प्रकार के विचारों का सैलाब उमड़ेगा।
- उन विचारों को रोके नहीं, उन्हें आने दें।
- धीरे-धीरे आपका मन अपने आप शांत हो जाएगा। मन की इस अवस्था को ही ध्यान कहते हैं।
घर के कामों से थोड़ा समय निकालकर पहली बार में एक घंटे बैठना मुश्किल है तो आप पहले 15 मिनट बैठें। धीरे-धीरे समय बढ़ाते चले जाएं। जिस कमरे में आप ध्यान करने बैठें, वहां कोई दीप प्रज्वलित करें।
ध्यान एक प्रायोगीक क्रिया है, अतः यह केवल पढ़ कर कर पाना कठिन हो सकता है।
ध्यान को किसी योग्य गुरु के सान्निध्य में ही सिखे।
-डॉ मुकेश ओझा
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