🤔असंख्य असंवेदनशील लोगों को देखकर लगता है, सायद संवेदनशील लोग अब जन्म नहीं लेते।
🤔आजकल वृद्धाश्रमों और ओल्ड-एज होम के बढतीं संख्याओ को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि आजकल के बच्चे कितने निर्दयी असंस्कारी और असंवेदनशील हो गये है कि अपने माता पिता तक को त्याग रहे हैं? 🤔समाज मे बढते भ्रष्टाचार को देखकर लगता है कि सायद प्रकृति कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार लोगों को जन्म देना बन्द कर दिया है??
🤔समाज मे नित्य प्रति हो रहे बालात्कार और अभद्रता को देखकर लगता है, अब सभ्य लोगों का उत्पति बन्द हो गया है
🤔 प्रतिदिन मांसाहारी लोगों कि संख्या मे वृद्धि और लोगो कि निर्दयता पूर्ण कार्यो को देखकर लगता है, अब इस धरा पर दयावान पुरुष जन्म नहीं लेते।
🤔👉👉👉
👉यह धरणी अपने
👉गर्भ संस्कार के द्वारा हम श्रेष्ठ मानव निर्मित कर सकते हैं।
जैसे पतञ्ज्ली, प्रहलाद, अभिमन्यु,शुकदेवजी,
No comments:
Post a Comment