उत्सव प्रतिपल होना चाहिये यदि आप वर्ष में कुछ दिन ही उत्सव मनाते हैं अर्थात अन्य दिनों में आप बेहोश होते है। उत्सव का अर्थ है पूर्ण होश में रहना।
और पूर्ण होश में रहने का एक मात्र उपाय है - ध्यान।
और मैं कहता हूँ उत्सव ध्यान में घटित होने वाली घटना है। आप अपने बेहोशी को उत्सव मत समझ लेना।उत्सव में सत्य प्रकट होता है। प्रेम अंकुरित होता है। करुणा का प्रस्फुरण होता है। आप जहाँ हैं यदि वही उसी अवस्था में ध्यान घटित हो गया तो आप उत्सव मनाया सकते है। अन्यथा आप सृष्टि में कहीं भी जाएँगे उत्सव के स्थान पर दुःख और खेद ही प्राप्त होगा।
👉यदि आप नये वर्ष का उत्सव मना रहे हैं तो सावधान! ध्यान को साध कर रखिए कही आपके नकली उत्सव में आपका होश न खो जाय।
- डॉ मुकेश ओझा
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार
।। मनुर्भव ।।
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