Sunday, April 28, 2019

आत्म ज्ञानी कैसे होते हैं?

वचने वचने वेदास्तीर्थानि च पदे पदे।
दृष्टौ दृष्टौ च कैवल्यं ह्यात्मज्ञानी स कथ्यते।।

अर्थ-
जिसके प्रत्येक वचन में वेदमंत्र अभिव्यक्त होता है। जिसके पद पर मे तीर्थों का वास होता है। जिसकी प्रत्येक दृष्टि मे मोक्ष प्रदान करने कि क्षमता होती है। यह आत्म ज्ञानी लक्षण है।

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