Sunday, April 28, 2019

ध्यान का महत्व

यदि शैलसमं पापं विस्तीर्णं योजनान्बहून।
भिद्यते ध्यानयोगेन नान्यो भेदः कदाचन।।
-ध्यानबिन्दोपनिषद
अर्थ- :
यदि अनेक योजनों में भी पहाड़ के समान पाप हो , तो वह भी ध्यान योगी के द्वारा विदीर्ण हो जाता है, पापो को नष्ट करने का दूसरा कोई मार्ग नहीं है।
-डॉ मुकेश ओझा
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार

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