भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कुल मिला कर 28 नक्षत्रों कि गणना है, तथा प्रचलित केवल 27 नक्षत्र है उसी के आधार पर प्रत्येक मनुष्य के जन्म के समय नामकरण होता है. अर्थात मनुष्य का नाम का प्रथम अक्षर किसी ना किसी नक्षत्र के अनुसार ही होता है. तथा इन नक्षत्रों के स्वामी भी अलग अलग ग्रह होते है. विभिन्न नक्षत्र एवं उनके स्वामी निम्नानुसार है यहां नक्षत्रों के स्वामियों के नाम के अंदर लिख रहा हूँ जिससे आपको आसानी रहे.
(१)अश्विनी(केतु), (२)भरणी(शुक्र), (३)कृतिका(सूर्य),(४)रोहिणी(चन्द्र),
(५)मृगशिर(मंगल), (६)आर्द्रा(राहू), (७)पुनर्वसु(वृहस्पति), (८)पुष्य(शनि),
(९)आश्लेषा(बुध), (१०)मघा(केतु), (११)पूर्व फाल्गुनी(शुक्र),
(१२)उत्तराफाल्गुनी(सूर्य), (१३)हस्त(चन्द्र), (१४)चित्रा(मंगल),
(१५)स्वाति(राहू), (१६)विशाखा(वृहस्पति), (१७)अनुराधा(शनि),
(१८)ज्येष्ठा(बुध), (१९)मूल(केतु), (२०)पूर्वाषाढा(शुक्र),
(२१)उत्तराषाढा(सूर्य), (२२)श्रवण(चन्द्र), (२३)धनिष्ठा(मंगल),
(२४)शतभिषा(राहू), (२५)पूर्वाभाद्रपद(वृहस्पति),
(२६)उत्तराभाद्रपद(शनि) एवं (२७)रेवती(बुध)..
ज्योतिष शास्त्र अनुसार प्रत्येक ग्रह 3, 3 नक्षत्रों के स्वामी होते है. कोई भी व्यक्ति जिस भी नक्षत्र में जन्मा हो वह उसके स्वामी ग्रह से सम्बंधित दिव्य प्रयोगों को करके लाभ प्राप्त कर सकता है. अपने जन्म नक्षत्र के बारे में अपनी जन्मकुंडली को देखें या अपनी जन्मतिथि और समय व् जन्म स्थान लिखकर भेजे.या अपने विद्वान ज्योतिषी से संपर्क कर जन्म का नक्षत्र ज्ञात कर के यह सर्व सिद्ध प्रयोग करके लाभ उठा सकते है.
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