Tuesday, July 4, 2017

मनपंसद संतान-प्राप्ति के योग

*मनपंसद संतान-प्राप्ति के योग*

हमारे पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में *पुत्र*-पुत्री *प्राप्ति* *हेतु* दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक *का* महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है। 
यदि आप *पुत्र* प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
* चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा *पुत्र* अल्पायु और दरिद्र होता है। 
* पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी। 
* छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला *पुत्र* जन्म लेगा। 
* सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी। 
* आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा *पुत्र* ऐश्वर्यशाली होता है। 
* नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है। 
* दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर *पुत्र* *का* जन्म होता है। 
* ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है। 
* बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम *पुत्र* जन्म लेता है। 
* तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है। 
* चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम *पुत्र* *का* जन्म होता है। 
* पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है। 
* सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, *पुत्र* पैदा होता है।
व्यास मुनि ने इन्हीं सूत्रों के आधार पर पर अम्बिका, अम्बालिका तथा दासी के नियोग (समागम) किया, जिससे धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर *का* जन्म हुआ। महर्षि मनु तथा व्यास मुनि के उपरोक्त सूत्रों की पुष्टि स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपनी पुस्तक 'संस्कार विधि' में स्पष्ट रूप से कर दी है। प्राचीनकाल के महान चिकित्सक वाग्भट तथा भावमिश्र ने महर्षि मनु के उपरोक्त कथन की पुष्टि 
पूर्णरूप से की है।

* प्राचीन संस्कृत पुस्तक 'सर्वोदय' में लिखा है कि गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा।

* कुछ विशिष्ट पंडितों तथा ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य के उत्तरायण रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्र तथा दक्षिणायन रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्री जन्म लेती है। उनका यह भी कहना है कि मंगलवार, गुरुवार तथा रविवार पुरुष दिन हैं। अतः उस दिन के गर्भाधान से पुत्र होने की संभावना बढ़ जाती है। सोमवार और शुक्रवार कन्या दिन हैं, जो पुत्री पैदा करने में सहायक होते हैं। बुध और शनिवार नपुंसक दिन हैं। अतः समझदार व्यक्ति को इन दिनों का ध्यान करके ही गर्भाधान करना चाहिए।

संतान प्राप्ति हेतु स्त्री पुरुष समागम कब हो?

*संतान प्राप्तअश्विनी, रेवती, भरणी, मघा, मूल इन नक्षत्रों में वर्जित है।

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