Friday, October 11, 2019

मन क्या है?

🌻🌼मन हमेशा ही विपरीत ऊर्जा के रूप में काम करता है
मन का नियम है कि जिस कार्य से हम मुक्त होने का प्रयास करते हैं उसी से घेर लेता है। जिस विषय से हम छुटना चाहते हैं,मन उसी विषय कि ओर हमें ढकेल देता है। हम दुःख से छुटकारा चाहते हैं और मन दुःख को आकर्षित कर लेता है। हम वासना से भागना चाहते हैं और मन वासना हमारे सन्निकट ला खड़ा कर देता है।
नकारात्मकता से भागने से अच्छा है मन को समझना क्योंकि जिससे हम भगना चाहेंगे मन उसी को आकर्षित कर लेगा।
अतः मन को समझना सबसे अधिक जरूरी है। मन को समझना लेने पर हमें सब सरल लगने लगेगा।
और मन को समझने का एक मात्र उपाय है- ध्यान।
👉🌼मन को नियंत्रित करने का मंत्र-
यज्जाग्रतो दूरमुदैति दैवं तदु सुप्तस्य तथैवैति ।
दूरंगं ज्योतिषां ज्योतिरेकं तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु ।।

अन्वय
यत् जाग्रतः दूरं उदैति सुप्तस्य तथा एव एति तत् दूरं गमं ज्योतिषां ज्योतिः एकं दैवं तत् में मनः शिवसंकल्पं अस्तु ।
अर्थ-
हे परमात्मा ! जागृत अवस्था में जो मन दूर दूर तक चला जाता है और सुप्तावस्था में भी दूर दूर तक चला जाता है, वही मन इन्द्रियों रुपी ज्योतियों की एक मात्र ज्योति है अर्थात् इन्द्रियों को प्रकाशित करने वाली एक ज्योति है अथवा जो मन इन्द्रियों का प्रकाशक है, ऐसा हमारा मन शुभ-कल्याणकारी संकल्पों से युक्त हो !
👉🌻🌼-डॉ मुकेश ओझा 🌻🌼
🌻ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार🌻

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