Thursday, October 17, 2019

ध्रुव तारा और गति

ध्रुव तारा और गति
सूक्ष्म रूप से  दिशाओं का ज्ञान ध्रुव तारा से ही होता है।
ध्रुव तारा का ज्ञान श्रमीष्ठा नक्षत्र और सप्त ऋषि के द्वारा होता है।
जब हम रात में आकाश का अवलोकन करते हैं तो हम यह देखते हैं कि ध्रुव तारा हर रोज, हर समय एक ही स्थिति में दिखाई देता है। इसलिए हमने ध्रुव तारे को स्थायी रूप से एक स्थान पर टिका रहने वाला तारा मान लिया है। ध्रुव तारे से मानव प्राचीन काल से ही अवगत रहा है। पुरानें जमानें के नाविकों एवं यात्रियों को दिशा के ज्ञान के लिए एवं समय के निरूपण के लिए इसी तारे की शरण लेनी पड़ती थी। वर्तमान में भी पानी के जहाजों को चलाने में हम तारों की सहायता लेते हैं और तो और आज जो बड़ी-बड़ी खगोलीय अवलोकन के लिए वेधशालाएँ हैं उनकीं भी घड़ियों को भी विभिन्न तारों से मिलाया जाता है। और वेधशालाओं की घड़ियों से बाकी घड़ियों को मिलाया जाता है। यहाँ तक अन्तरिक्ष यात्रियों के लिए भी तारों का ज्ञान रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है, विशेषकर ध्रुव तारे का।
पृथ्वी अपनी धुरी पर लट्टू की भांति घूमती हैं। पृथ्वी की यह धुरी उत्तर दिशा में ध्रुव तारे की ओर है। परन्तु यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर लट्टू की भांति घूमती है तो क्या लट्टू की धुरी सैदव स्थिर रहती हैं? तो फिर ध्रुव तारा हमेशा स्थिर कैसे प्रतीत होता हैं? जब हम लट्टू को नचाते हैं तो वह धीरे-धीरे शंकु बनाते हुए घुमा करती हैं। ठीक लट्टू की ही भांति हमारी पृथ्वी की भी धुरी अंतरिक्ष में स्थिर नही है। दिलचस्प बात यह है कि पृथ्वी की यह धुरी स्वयं सूर्य की गुरुत्वाकर्षण के कारण धीरे-धीरे घूम रही है। और लगभग 20,000 वर्षों में एक चक्कर पूरी करती है, जिसे अयन गति कहते है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि सर्वदा इस धुरी की स्थिति ध्रुव तारे की ओर नही रहेगी। आज से लगभग 4000 वर्ष पूर्व वर्तमान ध्रुव तारा घूमता हुआ प्रतीत होता होगा क्योंकि उस समय अटल (स्थिर) स्थान था अल्फ़ा ड्रेकोनिस। इसी प्रकार उत्तरी आकाश का सर्वाधिक चमकीला तारा अभिजित आज से करीब 12 हजार साल बाद ध्रुव-बिंदु के अत्यधिक नजदीक होगा और उस समय उसे ध्रुव तारा कहा जायेगा। ध्रुव तारे से संबंधित हमारे इसी आधुनिक ज्ञान के कारण हमें प्राचीनकाल के विभिन्न ग्रंथों के काल निर्धारण के लिए खगोलीय विधि प्राप्त हुई है।
इसलिए हमारे भौतिक-विश्व में कुछ भी स्थिर नही है, ध्रुव तारा भी नही! सूक्ष्म परमाणु कणों से लेकर विराट आकाशगंगाओं तक की प्रत्येक वस्तु गतिशील है। इस विश्व में अटल, स्थिर, शाश्वत, सदैव एकरूपी, नित्य एकरूपी, नियत, धीर, निश्चल, अचल पक्का इत्यादि नाम की कोई भी वस्तु नही है।
-डॉ मुकेश ओझा
ज्योतिष एवं आध्यात्मिक सलाहकार

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