Thursday, May 30, 2019

लोट्लकार

ॐ श्रीगुरवे नमः ॥ वन्देमातरम् 🙏🌷🌹

(( लोट्लकार-अभ्यास ))
हसतु       हसताम्      हसन्तु
हस         हसतम्        हसत
हसानि     हसाव        हसाम

१)भवान्/भवती अकारणं न हसतु ।
        (आप अकारण न हँसिये ।)
२)तौ अपि न हसताम् ।
        (वो दोनों भी न हँसें ।)
३)भवन्तः भयं त्यक्त्वा हसन्तु ।
         (आप सब डर त्यागकर हँसिये।)

४)त्वं मा हस/त्वमपि हस ।
         (तुम मत हँसो/तुम भी हँसो ।)
५)युवां मन्दं हसतम् ।
         (तुम दोनों धीरे हँसो ।)
६)यूयम् उच्चैः हसत ।
         (तुम सब जोर से हँसो ।)

७)अहम् अपि हसानि वा न ?
         (मैं भी हँसूँ या न हीं ?)
८)आवां चित्रं दृष्ट्वा हसाव ?
         (हम दोनों चित्र देखकर हँसे ?)
९)वयं युगपत् हसाम ?
         (हम सब एकसाथ हँसे ?)

जयतु संस्कृतम् ॥ॐ॥ जयतु भारतम् ॥

Tuesday, May 28, 2019

लट्लकार वर्तमान काल

ॐ सुरभारत्यै नमः ॥ जयश्रीकृष्ण 🙏🌷🌹

      ❁हस् धातुः (हँसना)❁
      #लट्लकार-अभ्यास

१)अयम् उच्चैः हसति ।
     (यह जोर से हँसता है।)
२)एतौ मन्दं हसतः ।
     (ये दोनों कम हँसते हैं।)
३)एताः युगपत् हसन्ति ।
     (ये सब एकसाथ हँसती हैं।)

४)त्वं तु श्मश्रुणः अधः हससि ।
     (तुम तो मूँछ के नीचे हँसते हो।😀)
५)युवाम् असुरवत् हसथः ।
     (तुम दोनों राक्षस की तरह हँसते हो।)
६)यूयं कथं हसथ ?
     (तुम सब कैसे हँसते हो ?)

७)अहम् अतीव हसामि ।
     (मैं बहुत हँसता हूँ।)
८)आवां मिलावः हसावः च ।
     (हम दोनों मिलते हैं और हँसते हैं।)
९)वयं हास्यकणिकां श्रुत्वा हसामः ।
     (हम सब चुटकुला सुनकर हँसते हैं।)

ॐ॥ जयतु संस्कृतम् ॥ॐ॥जयतु भारतम् ॥ॐ

Monday, May 27, 2019

संस्कृत में गिनती

० - शून्यम्

१ - एकः (पुल्लिंग), एका (स्त्रीलिंग) , एकम् (नपुंसकलिंग),

२ - द्वौ, द्वे, द्वे

३ - त्रयः,तिस्रः,त्रीणि

४ -चत्वारः चतस्रः, चत्वारि

चार (४) के बाद सभी संखाएँ सभी लिंगों में एकसमान रूप में होती हैं।

५ - पंच

६ - षट्

७ - सप्त

८ - अष्ट:

९ - नव

१० - दश

११ - एकादश

१२ - द्वादश

१३ - त्रयोदश

१४ - चतुर्दश

१५ - पंचदश

१६ - षोडश

१७ - सप्तदश

१८ - अष्टादश

१९ - नवदश/ऊनविंशतिः/एकोनविंशतिः

२० - विंशतिः

२१ - एकविंशतिः

२२ - द्वाविंशतिः

२३ - त्रिंविंशतिः

२४ - चतुर्विंशतिः

२५ - पंचविंशतिः

२६ - षडविंशतिः

२७ - सप्तविंशतिः

२८ - अष्टविंशतिः

२९ - नवविंशतिः/एकोनत्रिंशत्/ऊनत्रिंशत्

३० - त्रिंशत्

४० - चत्वारिंशत्

५० - पंचाशत्

६० - षष्टिः

७० - सप्ततिः

८० - अशीतिः

९० - नवतिः

१०० - शतम्

१००० - सहस्रम्

१००००० - लक्षम्

१००,००,००० - कोटि

आधा - अर्धम्

एक पाव - पादम्, अर्धार्धम्

पूरा - पूर्णम्

अनन्त - अनन्तम्

हिन्दी मे गिनती

० - शून्य

१ - एक

२ - दो

३ - तीन

४ - चार

५ - पाँच

६ - छः / छह

७ - सात

८ - आठ

९ - नौ

१० - दस

११ - ग्यारह

१२ - बारह

१३ - तेरह

१४ - चौदह

१५ - पन्द्रह

१६ - सोलह

१७ - सत्रह

१८ - अट्ठारह

१९ - उन्नीस

२० - बीस

२१ - इक्कीस

२२ - बाइस

२३ - तेइस

२४ - चौबीस

२५ - पच्चीस

२६ - छब्बीस

२७ - सत्ताइस

२८ - अट्ठाइस

२९ - उनतीस

३० - तीस

३१ - इकत्तीस

३२ - बत्तीस

३३ - तैंतीस

३४ - चौंतीस

३५ - पैंतीस

३६ - छत्तीस

३७ - सैंतीस

३८ - अड़तीस

३९ - उन्तालीस

४० - चालीस

४१ - इकतालीस

४२ - बयालीस

४३ - तिरालीस/तैंतालीस

४४ - चवालीस

४५ - पैंतालीस

४६ - छियालीस

४७ - सैंतालीस

४८ - अड़तालीस

४९ - उन्चास

५० - पचास

५१ - इक्यावन

५२ - बावन

५३ - तिरपन

५४ - चौवन

५५ - पचपन

५६ - छप्पन

५७ - सत्तावन

५८ - अट्ठावन

५९ - उनसठ

६० - साठ

६१ - इकसठ

६२ - बासठ

६३ - तिरसठ

६४ - चौंसठ

६५ - पैंसठ

६६ - छाछठ/छियासठ

६७ - सड़सठ

६८ - अड़सठ

६९ - उन्हत्तर

७० - सत्तर

७१ - इकहत्तर

७२ - बहत्तर

७३ - तिहत्तर

७४ - चौहत्तर

७५ - पचहत्तर

७६ - छिहत्तर

७७ - सतहत्तर

७८ - अठहत्तर

७९ - उन्यासी

८० - अस्सी

८१ - इक्यासी

८२ - बयासी

८३ - तिरासी

८४ - चौरासी

८५ - पचासी/पिच्यासी

८६ - छियासी

८७ - सतासी

८८ - अट्ठासी

८९ - नवासी

९० - नब्बे

९१ - इक्यानबे

९२ - बानबे

९३ - तिरानबे

९४ - चौरानबे

९५ - पनचानबे/पिच्यानबे

९६ - छियानबे

९७ - सनतानबे/सत्तानबे

९८ - अट्ठानबे

९९ - निन्यान्बे

१०० - सौ (एक सौ)

१२० - एक सौ बीस

५००००

१३४० - एक हजार तीन सौ चालीस

१०००० - दस हजार

१००००० - एक लाख

१०००००० - दस लाख

१००००००० - एक करोड

१०००००००० - दस करोड

१००००००००० - एक अरब

१०००००००००० - दस अरब

१००००००००००० - एक खरब

१०००००००००००० - दस खरब

१००००००००००००० - एक नील

१०००००००००००००० - दस नील

१००००००००००००००० - एक पदम

१०००००००००००००००० - दस पदम

१००००००००००००००००० - एक शंख

१०००००००००००००००००० - दस शंख

अनन्त - infinite, infinty

असंख्यअनगिनत - innuberable, uncountable

नगण्य - negligible

१/२ - एक बटा दो ; आधा

१/३ - एक बटा तीन ; तिहाई ; एक तिहाई

१/४ - एक बटा चार ; चौथाई ; एक चौथाई ; एक पाव ;

३/४ - तीन बटा चार ; तीन चौथाई ; पौन

२/३ - दो तिहाई

क/ख - क बटा ख

१०% - दस प्रतिशत

१+१/४ - सवा (सवा एक, नहीं)

१+१/२ - डेढ (साढे एक, नहीं)

१+३/४ - पौने दो

२+१/४ - सवा दो

२+१/२ - ढाई (साढे दो, नहीं)

३+१/२ - साढे (सार्ध) तीन

४+१/२ - सार्ध चार

१२.५७ - बारह दशमलव पाँच सात

५८७.७५९ पाँच सौ सत्तासी दशमलव सात पाँच नौ

#लुङ् सामान्यभूत

ॐ सुरभारत्यै नमः ॥ जयसियाराम ॥

    #लुङ्(१) सामान्यभूत

अभूत्  अभूताम्  अभूवन्
अभूः   अभूतम्   अभूत
अभूवम्  अभूव   अभूम

१)किम् अभूत् ?
   (क्या हुआ ?)
२)एतौ कथम् अभूताम् ?
   (ये दोनों कैसे हो गये?)
३)बालकाः किशोराः अभूवन् ।
   (बच्चे किशोर हो गये ।)

४)त्वं तु वृद्धः अभूः ।
   (तुम तो बूढ़े हो गये।)
५)युवां तु गौरौ अभूतम् ।
   (तुम दोनों तो गोरे हो गये।)
६)यूयम् अस्वस्थाः कथम् अभूत ?
   (तुम सब बीमार कैसे हुए ?)

७)अहं पुनः प्रधानमन्त्री अभूवम् ।
   (मैं फिर से प्रधानमंत्री बन गया ।)😊
८)आवां धीमन्तौ अभूव ।
   (हम दोनों बुद्धिमान् हो गये ।)
९)वयं संस्कृतज्ञाः अभूम ।
  (हम सब संस्कृतज्ञ हो गये ।)😍

जयतु संस्कृतम् ॥ॐ॥ जयतु भारतम् ॥

Saturday, May 25, 2019

उपसर्ग

#संस्कृतं_पठामि
सामान्य संस्कृत सीखने के प्रयास क्रम में उपसर्ग मजेदार दिख रहा है।

उपसर्ग ऐसे नन्हें शब्द हैं जो किसी दूसरे शब्द / पद से जुड़ कर उसका अर्थ ही बदल देता है।

जैसे -
प्र+हारः = प्रहारः
आ+हारः = आहारः
सम्+हारः = संहारः
वि+हारः = विहारः
परि+हारः = परिहारः
उप+हारः = उपहारः

एक कृदन्त अर्थात् क्रिया पद के साथ अलग-अलग उपसर्ग जुड़ेंगे और उस क्रियापद का अर्थ बदलता जाएगा।

मुख्य उपसर्गों की कुल संख्या २२ है।
(१) प्र
(२) परा
(३) अप
(४) सम्
(५) अनु
(६) अव
(७) निस्
(८) निर्
(९) दुस्
(१०) दुर्
(११) वि
(१२) आङ्
(१३) नि
(१४) अधि
(१५) अपि
(१६) अति
(१७) सु
(१८) उत्
(१९) अभि
(२०) प्रति
(२१) परि
(२२) अप्

अब कुछ उदाहरण कि कैसे उपसर्गों के प्रयोग से क्रियापद में  बदलाव होता है।
😁😁😁

* घातु - गम्(गच्छ)
गच्छति = जाता है
--------------------------
आ+गच्छति = आगच्छति (आता है)
उप+गच्छति = उपगच्छति (पास जाता है)
अनु+गच्छति = अनुगच्छति (पीछे-पीछे जाता है)
अव+गच्छति = अवगच्छति (समझता है)
अधि+गच्छति = अधिगच्छति (प्राप्त करता है)
प्रत्या+गच्छति = प्रत्यागच्छति ( लौटता है)
निर्+गच्छति = निर्गच्छति (निकलता है)
उद्+गच्छति = उद्गच्छति (उड़ता है)
सङ्+गच्छति = सङ्गच्छति (मिलता है)

* धातु - भू
भवति = होता है
----------------------
अनु+भवति = अनुभवति (अनुभव करता है)
अभि+भवति = अभिभवति (तिरस्कार करता है)
उद्+भवति = उद्भवति (उत्पन्न होता है)
परि+भवति = परिभवति (हराता है)

* धातु - सृ
सरति = जाता है
----------------------
अनु+सरति = अनुसरति (पीछे-पीछे जाता है)
अप+सरति = अपसरति (दूर हटता है)
प्र+सरति = प्रसरति (फैलता है)
उप+सरति = उपसरति (पास जाता है)
अभि+सरति = अभिसरति (१.सेवा करता है, २.चुपके से जाता है)
निस्+सरति = निस्सरति (बाहर निकलता है)

* धातु - कृ(कर)
करोति = करता है
------------------------
अनु+करोति = अनुकरोति (नकल करता है)
अप+करोति = अपकरोति (बुराई करता है)
अपा+करोति = अपाकरोति (दूर करता है)
उप+करोति = उपकरोति (उपकार करता है)
अधि+करोति = अधिकरोति (अधिकार करता है)
वि+करोति = विकरोति (दूषित करता है)
व्या+करोति = व्याकरोति (व्याख्या करता है)

* धातु - रुह्
रोहति = चढ़ता है
-----------------------
अधि+रोहति = अधिरोहति (चढ़ता है)
आ+रोहति = आरोहति (सवारी पर चढ़ता है)
अव+रोहति = अवरोहति (उतरता है)

#संस्कृतं_पठामि
========
* धातु - लप्
लपति = बोलता है
------------------------
अप+लपति = अपलपति (इन्कार करता है)
वि + लपति = विलपति (विलाप करता है)
प्र + लपति = प्रलपति (प्रलाप करता है)
आ + लपति = आलपति (बात करता है)

* धातु - हृ/हर्
हरति = छीनता है
-----------------------
प्र + हरति = प्रहरति (प्रहार करता है)
उत् + हरति = उद्धरति (उद्धार करता है)
वि + हरति = विहरति (विहार करता है)
उप + हरति = उपहरति (भेंट चढ़ता है)
अनु + हरति = अनुहरति (नकल करता है)
आ + हरति = आहरति (लाता है)
परि + हरति = परिहरति (दूर करता है)
सम् + हरति = संहरति (संहार करता है)

* धातु -  नी
नयति = ले जाता है
-------------------------
अनु + नयति = अनुनयति (खुशामद करता है)
आ + नयति = आनयति (लाता है)
~वि + नयति = विनयति (झुकता है)
~वि + नयते = विनयते ( क्रोध शांत करता है)
अभि + नयति = अभिनयति (अभिनय करता है)
परि + नयति = परिणयति (शादी करता है)
उप + नयति = उपनयति (यज्ञोपवीत देता है)
निर् + नयति = निर्णयति (निर्णय करता है)

* धातु - सद्
सीदति = दुःखी होता है
------------------------------
प्र + सीदति = प्रसीदति (प्रसन्न होता है)
प्रसादयति = खुश होता है
आसादयति = प्राप्त करता है
उत्सादयति = नष्ट करता है
निषीदति = बैठता है (१), दुःखी होता है (२)

~~~ कुछ और उपसर्ग वाले पद और उनका अर्थ कल.....

जयतु संस्कृतम् 🙏

जयतु संस्कृतम्

लृङ्लकार (भविष्यतकाल)

ॐ सुरभारत्यै नमः ॥ जयश्रीकृष्ण 🙏🌴🌷🌹

         #लृङ्लकार-अभ्यासः
१)यदि सः अभविष्यत् तर्हि तेऽपि तत्र अभविष्यन् ।
  = यदि वह होगा तो वे भी वहाँ होंगे ।

२)यदि त्वम् अभविष्यः इह तर्हि तौ अपि अभविष्यताम् ।
  = यदि तुम होगे यहाँ तो वो दोनों भी होंगे ।

३)यदि यूयम् अभविष्यत तर्हि अहमपि तत्र अभविष्यम् ।
  = यदि तुम सब रहोगे तो मैं भी वहाँ रहूँगा ।

४)यदि युवां तत्र अभविष्यतं तर्हि आवामपि अभविष्याव ।
  = यदि तुम दोनों वहाँ रहोगे तो हम दोनों भी होंगे ।

५)यदि सः अत्र अभविष्यत् तर्हि वयम् अभविष्याम ।
  = यदि वह यहाँ होगा तो हम होंगे ।

ॐ॥ जयतु संस्कृतम् ॥ॐ॥ जयतु भारतम् ॥ॐ

लिट्लकार ( परोक्ष भूत काल)

ॐ सुरभारत्यै नमः॥ जयसियाराम 🙏🌷🌹

         #लिट्लकार-अभ्यास

१)चन्द्रशेखरः महाक्रान्तिकारी बभूव ।
  = चन्द्रशेखर आजाद महान् क्रान्तिकारी हुए ।
२)सुदामा कृष्णः च सखायौ बभूवतुः ।
  = सुदामाजी और कृष्णजी दो मित्र हुए थे ।
३)स्वदेशे बहवः स्वतन्त्रतासेनानिनः बभूवुः ।
  = अपने देश में बहुत स्वतन्त्रता सेनानी हुए ।

        मध्यमपुरुषस्य उत्तमपुरुषस्य च
                  वाक्यानि वदतु !!

🌹जयतु संस्कृतम् ॥ॐ॥ जयतु भारतम् ॥🌹

Thursday, May 16, 2019

नक्षत्र मंत्र : वैदिक , पौराणिक और नक्षत्र देवता, नक्षत्र वृक्ष

नक्षत्र मंत्र : वैदिक , पौराणिक और नक्षत्र देवता मंत्र

नक्षत्र मंत्र : वैदिक , पौराणिक और नक्षत्र देवता मंत्र
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मित्रों
हमारे जीवन में नक्षत्रों का भी उतना ही महत्त्व है जितना की नवग्रहों का, ऋषि मुनियों ने नभ मंडल को कल  २७ नक्षत्र में बांटा हैं और प्रतीक राशि के अंतर्गत ३ नक्षत्र आते हैं।

पीड़ा परेशानी होने पर हम ग्रहों की पूजा, दान  और जप तो करते हैं पर नक्षत्रों को भूल जाते हैं। यहाँ आपको नक्षत्रों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवा रहा हूँ जिसमे उनके वैदिक, पौराणिक मंत्र, नक्षत्र देवता के मंत्र और नक्षत्र मंत्र हैं।  अपने नक्षत्र मंत्र के जप करके आप लाभ उठा सकते है उसे बलवान कर सकते हैं साथ ही नक्षत्र की वनस्पति के वृक्ष को लगाकर उसकी सेवा करके यानि नित्य जल देते हुए मंत्र जप कर लाभ ले सकते हैं और यदि किसी कारण से नक्षत्र लाभ न दे रहा हो तो उसे अपने पक्ष में लाभ देने वाला बना सकते हैं।  आपका जन्म नक्षत्र कैसा है और आपके जीवन पर क्या प्रभाव दे रहा है इसके लिए किसी विद्वान पंडित जी या ज्योतिषी से सम्पर्क कर इस जानकारी का लाभ ले सकते हैं।

१) अश्विनी

नक्षत्र: अश्विनी
नक्षत्र देवता : अश्विनीकुमार
नक्षत्र स्वामी : केतु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : कुचला
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मेष राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: घोडा
नक्षत्र तत्व : वायु
नक्षत्र स्वभाव : शुभ

वेद मंत्र

ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वती वीर्य्यम वाचेन्द्रो
बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: ।

पौराणिक मंत्र:

अश्विनी देवते श्वेतवर्णो तौव्दिभुजौ स्तुमः
lसुधासंपुर्ण कलश कराब्जावश्च वाहनौ ll

नक्षत्र देवता मंत्र:
अ)ॐअश्विनी कुमाराभ्यां नमः
आ) ॐ अश्विभ्यां नमः

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ अश्वयुगभ्यां नमःl

२) भरणी

नक्षत्र : भरणी
नक्षत्र देवता : यम - आद्य पितर
नक्षत्र स्वामी :शुक्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : आँवला
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मेष राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : हत्ती
नक्षत्र तत्व : अग्नी
नक्षत्र स्वभाव : क्रूर

वेद मंत्र

ॐ यमायत्वा मखायत्वा सूर्य्यस्यत्वा तपसे देवस्यत्वा सवितामध्वा
नक्तु पृथ्विया स गवं स्पृशस्पाहिअर्चिरसि शोचिरसि तपोसी।

पौराणिक मंत्र:

पाशदण्डं भुजव्दयं यमं महिष वाहनम l
यमं नीलं भजे भीमं सुवर्ण प्रतीमागतम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ यमाय् नमः l

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ अपभरणीभ्यो नमःl

३) कृतिका

नक्षत्र: कृतिका
नक्षत्र देवता : अग्नी
नक्षत्र स्वामी : रवि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : उंबर, औदुंबर
राशी व्याप्ती : १ले चरण मेष राशीमध्ये,
बाकीचे ३ चरण वृषभ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: बकरी
नक्षत्र तत्व :अग्नी
नक्षत्र स्वभाव : क्रूर

वेद मंत्र

ॐ अयमग्नि सहत्रिणो वाजस्य शांति गवं
वनस्पति: मूर्द्धा कबोरीणाम । ॐ अग्नये नम: ।

पौराणिक मंत्र:

कृतिका देवतामाग्निं मेशवाहनं संस्थितम् l
स्त्रुक् स्तुवाभीतिवरधृक्सप्तहस्तं नमाम्यहम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ आग्नेय नमः l

नक्षत्र नाम मंत्र :ॐ कृतिकाभ्यो नमः

४) रोहिणी

नक्षत्र: रोहिणी
नक्षत्र देवता :ब्रम्हा
नक्षत्र स्वामी : चंद्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :जामुन जांभळी, जांभू
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण वृषभ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: सर्प
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: शुभ

वेद मंत्र

ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचोवेन आव: सबुधन्या उपमा
अस्यविष्टा: स्तश्चयोनिम मतश्चविवाह ( सतश्चयोनिमस्तश्चविध: )

पौराणिक मंत्र:

प्रजापतीश्वतुर्बाहुः कमंडल्वक्षसूत्रधृत् l
वराभयकरः शुध्दौ रोहिणी देवतास्तु मे ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:-
अ) ॐ ब्रम्हणे नमःl
आ) ॐ प्रजापतये नमःll

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ रौहिण्यै नमःl

५) मृगशिरा
नक्षत्र: मृगशिरा
नक्षत्र देवता: चंद्र
नक्षत्र स्वामी: मंगळ
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : खैर (कात)
राशी व्याप्ती : २ चरण वृषभ राशीमध्ये,
बाकीचे २ चरण मिथुन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी :सर्प
नक्षत्र तत्व: वायु
नक्षत्र स्वभाव: शुभ

वेद मंत्र

ॐ सोमधेनु गवं सोमाअवन्तुमाशु गवं सोमोवीर: कर्मणयन्ददाति
यदत्यविदध्य गवं सभेयम्पितृ श्रवणयोम । ॐ चन्द्रमसे नम: ।

पौराणिक मंत्र:

श्वेतवर्णाकृतीः सोमो व्दिभुजो वरदण्डभृत् lदशाश्वरथमारूढो मृगशिर्षोस्तु मे मुदे ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र :-
अ) ॐ चंद्रमसे नमःl
आ) ॐ सोमाय नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र :- ॐ मृगशीर्षाय नमःl

६) आर्द्रा
नक्षत्र: आर्द्रा
नक्षत्र देवता : रुद्र (शिव)
नक्षत्र स्वामी : राहु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : कृष्णागरू,काला तेंदू
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मिथुन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : कुत्रा
नक्षत्र तत्व : जल
नक्षत्र स्वभाव : तीक्ष्ण

वेद मंत्र

ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यां मुतते नम: ।
ॐ रुद्राय नम: ।

पौराणिक मंत्र:

रुद्र श्वेतो वृशारूढः श्वेतमाल्यश्चतुर्भुजःl
शूलखड्गाभयवरान्दधानो मे प्रसीदतु ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ रुद्राय नमः l

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ आर्द्रायै नमःl

७) पुनर्वसु
नक्षत्र: पुनर्वसु
नक्षत्र देवता: अदिती
नक्षत्र स्वामी: गुरू
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :बांस / बांबू
राशी व्याप्ती: 3 चरणे मिथुन राशीमध्ये,
बाकीचे १ चरण कर्क राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: मांजर
नक्षत्र तत्व: वायु
नक्षत्र स्वभाव: चर

वेद मंत्र

ॐ अदितिद्योरदितिरन्तरिक्षमदिति र्माता: स पिता स पुत्र:
विश्वेदेवा अदिति: पंचजना अदितिजातम अदितिर्रजनित्वम ।
ॐ आदित्याय नम: ।

पौराणिक मंत्र:

अदितीः पीतवर्णाश्च स्त्रुवाक्षकमण्डलून l
दधाना शुभदा मे स्यात पुनर्वसु कृतारव्या ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र :-
अ) ॐ आदित्यै नमःl
आ)ॐ आदितये नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ आर्द्रायै नमःl

८) पुष्य
नक्षत्र: पुष्य
नक्षत्र देवता: गुरु
नक्षत्र स्वामी: शनि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: पिंपळ, पीपल
राशी व्याप्ती :४ हि चरण कर्क राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी :बकरी
नक्षत्र तत्व :अग्नी
नक्षत्र स्वभाव:शुभ

वेद मंत्र

ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद दुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु ।
यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम ।
ॐ बृहस्पतये नम:

पौराणिक मंत्र:

वंदे बृहस्पतिं पुष्यदेवता मानुशाकृतिम् l
सर्वाभरण संपन्नं देवमंत्रेण मादरात् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र :- ॐ बृहस्पतये नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ पुष्याय नमःl

९) आश्लेषा
नक्षत्र:आश्लेषा
नक्षत्र देवता: सर्प
नक्षत्र स्वामी : बुध
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: नागकेसर
राशी व्याप्ती :४ हि चरण कर्क राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : मांजर
नक्षत्र तत्व : जल
नक्षत्र स्वभाव: तीक्ष्ण,शोक

वेद मंत्र
ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:।
ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: ।
ॐ सर्पेभ्यो नम:।

पौराणिक मंत्र:
सर्पोरक्त स्त्रिनेत्रश्च फलकासिकरद्वयःl
आश्लेषा देवता पितांबरधृग्वरदो स्तुमे ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ सर्पेभ्यो नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ आश्लेषायै नमःl

१०) मघा
नक्षत्र: मघा
नक्षत्र देवता: पितर
नक्षत्र स्वामी: केतु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: बरगद
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण सिंह राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: उंदीर
नक्षत्र तत्व: अग्नी
नक्षत्र स्वभाव :क्रुर, उग्र

वेद मंत्र

ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।
प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:
पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।

पौराणिक मंत्र :

पितरः पिण्डह्स्ताश्च कृशाधूम्रा पवित्रिणःl
कुशलं द्घुरस्माकं मघा नक्षत्र देवताःll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ पितृभ्यो नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ मघायै नमः

११)पुर्वा (फाल्गुनी)
नक्षत्र: पुर्वा (फाल्गुनी)
नक्षत्र देवता : भग
नक्षत्र स्वामी : शुक्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : पलाश (पळस)
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण सिंह राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी:उंदीर
नक्षत्र तत्व: क्रुर
नक्षत्र स्वभाव : शुभ

वेद मंत्र

ॐ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगे मां धियमुदवाददन्न: ।
भगप्रजाननाय गोभिरश्वैर्भगप्रणेतृभिर्नुवन्त: स्याम: ।
ॐ भगाय नम: ।

पौराणिक मंत्र:

भगं रथवरारुढं व्दिभुंज शंखचक्रकम् l
फाल्गुनीदेवतां ध्यायेत् भक्ताभीष्टवरप्रदाम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ भगाय नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ पुर्व फाल्गुनीभ्यां नमःl

१२) उत्तरा (फाल्गुनी)
नक्षत्र:उत्तरा (फाल्गुनी)
नक्षत्र देवता : अर्यमा
नक्षत्र स्वामी: रवि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष पाकड़
राशी व्याप्ती १ ले चरण सिंह राशीमध्ये,
बाकीचे ३ चरण कन्या राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: गाय
नक्षत्र तत्व :वायु
नक्षत्र स्वभाव: शुभ

वेद मंत्र

ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।
मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।
ॐ अर्यमणे नम: ।

पौराणिक मंत्र:

संपूजयाम्यर्यमणं फाल्गुनी तार देवताम् l
धुम्रवर्णं रथारुढं सुशक्तिकरसंयुतम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र :- ॐ अर्यम्ने नमः

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ उत्तरा फाल्गुनीभ्यां नमःl

१३) हस्त
नक्षत्र :हस्त
नक्षत्र देवता : सुर्य
नक्षत्र स्वामी : चंद्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : ,चमेली रीठा
राशी व्याप्ती :४ हि चरण कन्या राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : म्हैस
नक्षत्र तत्व : वायु
नक्षत्र स्वभाव: शुभ, सत्वगुणी

वेद मंत्र

ॐ विभ्राडवृहन्पिवतु सोम्यं मध्वार्य्युदधज्ञ पत्त व विहुतम
वातजूतोयो अभि रक्षतित्मना प्रजा पुपोष: पुरुधाविराजति ।
ॐ सावित्रे नम: ।

पौराणिक मंत्र:

सवितारहं वंदे सप्ताश्चरथ वाहनम् l
पद्मासनस्थं छायेशं हस्तनक्षत्रदेवताम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र :- ॐ सवित्रे नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ हस्ताय नमः

१४) चित्रा
नक्षत्र : चित्रा
नक्षत्र देवता: त्वष्टा
नक्षत्र स्वामी: मंगळ
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: बेल
राशी व्याप्ती : २ चरण कन्या राशीमध्ये,
बाकीचे, २ चरण तुळ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: वाघ
नक्षत्र तत्व : वायु
नक्षत्र स्वभाव: तीक्ष्ण

वेद मंत्र

ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम ।
द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु: ।
त्वष्द्रेनम: । ॐ विश्वकर्मणे नम: ।

पौराणिक मंत्र:

त्वष्टारं रथमारूढं चित्रानक्षत्रदेवताम् l
शंखचक्रान्वितकरं किरीटीनमहं भजे ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ त्वष्ट्रे नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ चित्रायै नमःl

१५) स्वाती
नक्षत्र :स्वाती
नक्षत्र देवता: वायु
नक्षत्र स्वामी : राहु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: अर्जुन
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण तुळ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: म्हैस
नक्षत्र तत्व: अग्नी
नक्षत्र स्वभाव: शुभ

वेद मंत्र

ॐ वायरन्नरदि बुध: सुमेध श्वेत सिशिक्तिनो
युतामभि श्री तं वायवे सुमनसा वितस्थुर्विश्वेनर:
स्वपत्थ्या निचक्रु: । ॐ वायव नम: ।

पौराणिक मंत्र:

वायुवरं मृगारुढं स्वाती नक्षत्र देवताम् l
खड्.ग चर्मोज्वल करं धुम्रवर्ण नमाम्यह्म् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ वायवे नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ स्वात्यै नमःl

१६) विशाखा
नक्षत्रः विशाखा
नक्षत्र देवता : इंद्राग्नी
नक्षत्र स्वामी : गुरू
नक्षत्र आराध्य वृक्ष:  कटाई, नागकेशर
राशी व्याप्ती : पहिले 3 चरण तुळ राशीमध्ये,
बाकीचे १ चरण वृश्चिक राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : वाघ
नक्षत्र तत्व : वायु
नक्षत्र स्वभाव: अशुभ

वेद मंत्र

ॐ इन्द्रान्गी आगत गवं सुतं गार्भिर्नमो वरेण्यम ।
अस्य पात घियोषिता । ॐ इन्द्रान्गीभ्यां नम: ।

पौराणिक मंत्र:
इंद्राग्नीशुभदौ स्यातां विशाखा देवतेशुभे l
नमोम्ये करथारुढौ वराभयकरांबुजौ l

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ इंद्राग्नीभ्यां नमः

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ विशाखाभ्यां नमःl

१७) अनुराधा
नक्षत्र :अनुराधा
नक्षत्र देवता : मित्र
नक्षत्र स्वामी : शनि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :मौलश्री
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण वृश्चिक राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: हरीण
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: शुभ

वेद मंत्र

ॐ नमो मित्रस्यवरुणस्य चक्षसे महो देवाय तदृत
गवं सपर्यत दूरंदृशे देव जाताय केतवे दिवस्पुत्राय सूर्योयश
गवं सत । ॐ मित्राय नम: ।

पौराणिक मंत्र:

मित्रं पद्मासनारूढं अनुराधेश्वरं भजे l
शूलां कुशलसद्भाहुं युग्मंशोणितवर्णकम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ मित्राय नमः l

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ अनुराधाभ्यो नमःl

१८) जेष्ठा
नक्षत्र: जेष्ठा
नक्षत्र देवता: इंद्र
नक्षत्र स्वामी :बुध
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: निर्गुडी/चीड़
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण वृश्चिक राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: हरीण
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: तीक्ष्ण

वेद मंत्र

ॐ त्राताभिंद्रमबितारमिंद्र गवं हवेसुहव गवं शूरमिंद्रम वहयामि शक्रं
पुरुहूतभिंद्र गवं स्वास्ति नो मधवा धात्विन्द्र: । ॐ इन्द्राय नम: ।

पौराणिक मंत्र:

श्वेतहस्तिनमारूढं वज्रांकुशलरत्करम् l
सहस्त्रनेत्रं पीताभं इंद्रं ह्रदि विभावये ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ इंद्राय नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ जेष्ठायै नमःl

१९) मूळ
नक्षत्र:मूळ
नक्षत्र देवता: निॠति (राक्षस)
नक्षत्र स्वामी: केतु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : साल
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण धनु राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: कुत्रा
नक्षत्र तत्व : जल
नक्षत्र स्वभाव: तीक्ष्ण

वेद मंत्र

ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि गवं स्वयोनावभारुषा तां
विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त ।
ॐ निॠतये नम: ।

पौराणिक मंत्र: खड्.गखेटधरं कृष्णं यातुधानं नृवाहनम् l
अर्ध्वकेशं विरुपाक्षं भजे मुलाधिदेवताम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ निॠतये नमः l

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ मुलाय नमःl

२०) पूर्वाषाढा
नक्षत्र: पूर्वाषाढा
नक्षत्र देवता: जल/ उदक
नक्षत्र स्वामी: शुक्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: वेत
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण धनु राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी:वानर
नक्षत्र तत्व: जल
नक्षत्र स्वभाव: उग्र

वेद मंत्र

ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद
यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम: ।

पौराणिक मंत्र:

आषाढदेवता नित्यमापः सन्तु शुभावहाःl
समुद्र गास्तरा गिणोल्हादिन्यःसर्वदेहिनाम्ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ अद्भयो नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ पूर्वाषाढाभ्यां नमःl

२१) उत्तराषाढा
नक्षत्र: उत्तराषाढा
नक्षत्र देवता: विश्वदेव
नक्षत्र स्वामी: रवि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :फणस, कटहल
राशी व्याप्ती : पहिले चरण धनु राशीमध्ये,
बाकीचे ३ चरण मकर राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: मुंगुस
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: स्थिर

वेद मंत्र
ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा:
विश्वेनोदेवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै ।

पौराणिक मंत्र:

विश्वांदेवान् अहं वंदेषाढनक्षत्रदेवताम् l
श्रीपुष्टिकीर्तीधीदात्री सर्वपापानुमुक्तये ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः l

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमःl

२२) श्रवण
नक्षत्र: श्रवण
नक्षत्र देवता: विष्णु
नक्षत्र स्वामी: चंद्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: रुई ( अर्क ) मंदार
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मकर राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: वानर
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: चर

वेद मंत्र

ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो
धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: ।

पौराणिक मंत्र:

शांताकारं चतुर्हस्तं श्रोणा नक्षत्रवल्लभम् l
विष्णु कमलपत्राक्षं ध्यायेद् गरुड वाहन् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ विष्णवे नमः l

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ श्रवणाय नमःl

२३) धनिष्ठा
नक्षत्र: धनिष्ठा
नक्षत्र देवता :वसु
नक्षत्र स्वामी: मंगळ
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: शमी
राशी व्याप्ती: पहिले २ चरण मकर राशीमध्ये,
बाकीचे २ चरण कुंभ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: सिंह
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: थोडेसे शुभ

वेद मंत्र

ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम ।
देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: ।
ॐ वसुभ्यो नम: ।

पौराणिक मंत्र

श्राविष्ठादेवतां वंदे वसुन्वरधराश्रिताम् l
शंखचक्रांकितरांकिरीटांकित मस्तकाम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ वसुभ्यो नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ धनिष्ठायै नमःl

२४) शतभिषा
नक्षत्र: शतभिषा
नक्षत्र देवता: वरुण
नक्षत्र स्वामी: राहु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :कदंब
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण कुंभ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: घोडा
नक्षत्र तत्व: जल
नक्षत्र स्वभाव: चर

वेद मंत्र

ॐ वरुणस्योत्त्मभनमसिवरुणस्यस्कुं मसर्जनी स्थो वरुणस्य
ॠतसदन्य सि वरुण स्यॠतमदन ससि वरुणस्यॠतसदनमसि ।
ॐ वरुणाय नम: ।

पौराणिक मंत्र:

वरुणं सततं वंदे सुधाकलश धारीणम् l
पाशहस्तं शतभिशग् देवतां देववंदीतम ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ वरुणाय नमः

नक्षत्र नाम मंत्र :- ॐ शतभिषजे नमः

२५) पुर्वाभाद्रपदा
नक्षत्र: पुर्वाभाद्रपदा
नक्षत्र देवता: अजैक चरण
नक्षत्र स्वामी: गुरू
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: आंबा, आम
राशी व्याप्ती : पहिले ३ चरण कुंभ राशीमध्ये,
बाकीचे १ चरण मीन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी :सिंह
नक्षत्र तत्व: अग्नी
नक्षत्र स्वभाव: उग्र

वेद मंत्र

ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा
ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु ।
ॐ अजैकपदे नम:।

पौराणिक मंत्र:

शिरसा महजं वंदे ध्येकपादं तमोपहम् l
मुदे प्रोष्ठपदेवानं सर्वदेवनमस्कृतम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र :-
ॐ अजैकपदे नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ पुर्वाप्रोष्ठपद्भ्यां नमःl

२६) उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र : उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र देवता : अहिर्बुंधन्य
नक्षत्र स्वामी: शनि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष:नीम
राशी व्याप्ती : ४ ही चरण मीन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: गायक
नक्षत्र तत्व : जल
नक्षत्र स्वभाव : ध्रुव

वेद मंत्र

ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि गवं सो
निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) ।

पौराणिक मंत्र:

अहिर्मे बुध्नियो भूयात मुदे प्रोष्ठ पदेश्वरःl
शंखचक्रांकीतकरः किरीटोज्वलमौलिमान् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ अहिर्बुंधन्याय नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ उत्तरप्रोष्ठपदभ्यां नमःl

२७) रेवती
नक्षत्र : रेवती
नक्षत्र देवता :पूषा
नक्षत्र स्वामी :बुध
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: महुआ
राशी व्याप्ती : ४ ही चरण मीन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : हत्ती
नक्षत्र तत्व: जल
नक्षत्र स्वभाव: मृदु

वेद मंत्र
ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन ।
स्तोतारस्तेइहस्मसि । ॐ पूषणे नम: ।

पौराणिक मंत्र:

पूषणं सततं वंदे रेवतीशं समृध्दये l
वराभयोज्वलकरं रत्नसिंहासने स्थितम् ll

नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ पूष्णे नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ रेवत्यै नमःl