Wednesday, May 8, 2019

अक्षय तृतीया

आज अक्षय तृतीया से सम्बन्धित कुछ बातों को जानते हैं।।

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अक्षय तृतीया एक ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी शुभ कार्य हेतु, कोई नयी वस्तु खरीदने हेतु पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती यह स्वयं सिद्ध तिथि एवं मुहूर्त्त हैं।
अक्षय शब्द का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय न हो। नाम के अनुरूपा ही अक्षय तृतीया के दिन किये गये कार्य का कभी नाश नही होता हैं। अत: अक्षय तृतीया को केवल शुभ कर्म ही करने चाहिए।

अक्षय तृतीया के दिन भगवान नर और नारायण, परशुराम जी और हयग्रीव का अवतार हुआ था।  कूर्मावतार भी आज ही के दिन हुआ था । ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही द्वापर युग का समापन हुआ था और त्रेता युग का आरंभ। इसीलिए इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है। इसी दिन बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलते हैं। साथ ही वृंदावन में बांकेबिहारी के चरणों के दर्शन भी केवल इसी दिन होते है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के काल में जब पांडव वनवास में थे, तबएक दिन श्रीकृष्ण जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार है, ने उन्हें एक अक्षय पात्र उपहार स्वरुप दिया था। यह ऐसा पात्र था जो कभी भी खाली नहीं होता था और जिसके सहारे पांडवों को कभी भी भोजन की चिंता नहीं हुई और मांग करनेपर इस पात्र से असीमित भोजन प्रकट होता था। श्री कृष्ण से संबंधित एक और कथा अक्षय तृतीया के सन्दर्भ में प्रचलित है।
कथानुसार श्रीकृष्ण के बालपन के मित्र सुदामाजी आज ही के  दिन श्रीकृष्ण के द्वार उनसे अपने परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगने गए थे ओर भगवान श्रीकृष्ण ने याचना किये बिना ही उनका कष्ट दूर किया था।
अक्षय तृतीया से सम्बन्धित बहुत बाते बताने योग्य है परन्तु महत्वपूर्ण बाते जान लेनी आवश्यक होती हैं।
   
               ।।धन्यवाद।।
।।   शुभ अक्षय तृतीया।।

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