Saturday, May 25, 2019

उपसर्ग

#संस्कृतं_पठामि
सामान्य संस्कृत सीखने के प्रयास क्रम में उपसर्ग मजेदार दिख रहा है।

उपसर्ग ऐसे नन्हें शब्द हैं जो किसी दूसरे शब्द / पद से जुड़ कर उसका अर्थ ही बदल देता है।

जैसे -
प्र+हारः = प्रहारः
आ+हारः = आहारः
सम्+हारः = संहारः
वि+हारः = विहारः
परि+हारः = परिहारः
उप+हारः = उपहारः

एक कृदन्त अर्थात् क्रिया पद के साथ अलग-अलग उपसर्ग जुड़ेंगे और उस क्रियापद का अर्थ बदलता जाएगा।

मुख्य उपसर्गों की कुल संख्या २२ है।
(१) प्र
(२) परा
(३) अप
(४) सम्
(५) अनु
(६) अव
(७) निस्
(८) निर्
(९) दुस्
(१०) दुर्
(११) वि
(१२) आङ्
(१३) नि
(१४) अधि
(१५) अपि
(१६) अति
(१७) सु
(१८) उत्
(१९) अभि
(२०) प्रति
(२१) परि
(२२) अप्

अब कुछ उदाहरण कि कैसे उपसर्गों के प्रयोग से क्रियापद में  बदलाव होता है।
😁😁😁

* घातु - गम्(गच्छ)
गच्छति = जाता है
--------------------------
आ+गच्छति = आगच्छति (आता है)
उप+गच्छति = उपगच्छति (पास जाता है)
अनु+गच्छति = अनुगच्छति (पीछे-पीछे जाता है)
अव+गच्छति = अवगच्छति (समझता है)
अधि+गच्छति = अधिगच्छति (प्राप्त करता है)
प्रत्या+गच्छति = प्रत्यागच्छति ( लौटता है)
निर्+गच्छति = निर्गच्छति (निकलता है)
उद्+गच्छति = उद्गच्छति (उड़ता है)
सङ्+गच्छति = सङ्गच्छति (मिलता है)

* धातु - भू
भवति = होता है
----------------------
अनु+भवति = अनुभवति (अनुभव करता है)
अभि+भवति = अभिभवति (तिरस्कार करता है)
उद्+भवति = उद्भवति (उत्पन्न होता है)
परि+भवति = परिभवति (हराता है)

* धातु - सृ
सरति = जाता है
----------------------
अनु+सरति = अनुसरति (पीछे-पीछे जाता है)
अप+सरति = अपसरति (दूर हटता है)
प्र+सरति = प्रसरति (फैलता है)
उप+सरति = उपसरति (पास जाता है)
अभि+सरति = अभिसरति (१.सेवा करता है, २.चुपके से जाता है)
निस्+सरति = निस्सरति (बाहर निकलता है)

* धातु - कृ(कर)
करोति = करता है
------------------------
अनु+करोति = अनुकरोति (नकल करता है)
अप+करोति = अपकरोति (बुराई करता है)
अपा+करोति = अपाकरोति (दूर करता है)
उप+करोति = उपकरोति (उपकार करता है)
अधि+करोति = अधिकरोति (अधिकार करता है)
वि+करोति = विकरोति (दूषित करता है)
व्या+करोति = व्याकरोति (व्याख्या करता है)

* धातु - रुह्
रोहति = चढ़ता है
-----------------------
अधि+रोहति = अधिरोहति (चढ़ता है)
आ+रोहति = आरोहति (सवारी पर चढ़ता है)
अव+रोहति = अवरोहति (उतरता है)

#संस्कृतं_पठामि
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* धातु - लप्
लपति = बोलता है
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अप+लपति = अपलपति (इन्कार करता है)
वि + लपति = विलपति (विलाप करता है)
प्र + लपति = प्रलपति (प्रलाप करता है)
आ + लपति = आलपति (बात करता है)

* धातु - हृ/हर्
हरति = छीनता है
-----------------------
प्र + हरति = प्रहरति (प्रहार करता है)
उत् + हरति = उद्धरति (उद्धार करता है)
वि + हरति = विहरति (विहार करता है)
उप + हरति = उपहरति (भेंट चढ़ता है)
अनु + हरति = अनुहरति (नकल करता है)
आ + हरति = आहरति (लाता है)
परि + हरति = परिहरति (दूर करता है)
सम् + हरति = संहरति (संहार करता है)

* धातु -  नी
नयति = ले जाता है
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अनु + नयति = अनुनयति (खुशामद करता है)
आ + नयति = आनयति (लाता है)
~वि + नयति = विनयति (झुकता है)
~वि + नयते = विनयते ( क्रोध शांत करता है)
अभि + नयति = अभिनयति (अभिनय करता है)
परि + नयति = परिणयति (शादी करता है)
उप + नयति = उपनयति (यज्ञोपवीत देता है)
निर् + नयति = निर्णयति (निर्णय करता है)

* धातु - सद्
सीदति = दुःखी होता है
------------------------------
प्र + सीदति = प्रसीदति (प्रसन्न होता है)
प्रसादयति = खुश होता है
आसादयति = प्राप्त करता है
उत्सादयति = नष्ट करता है
निषीदति = बैठता है (१), दुःखी होता है (२)

~~~ कुछ और उपसर्ग वाले पद और उनका अर्थ कल.....

जयतु संस्कृतम् 🙏

जयतु संस्कृतम्

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